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धारकुंडी

हिंदू धर्मग्रंथ महाकाव्य महाभारत के अनुसार ‘युधिष्ठिर और दक्ष’ का संवाद यहाँ के ही कुंड में हुआ था, आज इस कुंड को ‘अघमर्षण कुंड’ के नाम से जाना जाता है। यह कुंड श्री परमहंस आश्रम धारकुंडी के बीचों-बीच स्थित है। अघमर्षण कुंड भूतल से लगभग 100 मीटर नीचे है। धारकुंडी नाम दो शब्दों “धार तथा कुंडी” से मिलकर बना है। जिसका मतलब होता है – ‘जल की धारा और जलकुंड’। विंध्याचल पर्वत शृंखला के 2 पहाड़ों के बीच से अविरल बहने वाली निर्मल जलधारा यहाँ पानी की कमी नही होने देती है, निरंतर बहने वाली इसी जलधारा की वजह से यहाँ पर जलकुंड बना है।